Sunday, June 28, 2009
Friday, June 26, 2009
Tuesday, June 23, 2009
Monday, June 22, 2009
Friday, June 19, 2009
Wednesday, June 17, 2009
Saturday, June 13, 2009
Sunday, June 7, 2009
Saturday, June 6, 2009
चांद एक दिन
हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला
सिलवा दो मा मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला
सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ
ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ
आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का
न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही को भाड़े का
बच्चे की सुन बात, कहा माता ने 'अरे सलोने`
कुशल करे भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने
जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ
कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा
बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा
घटता-बढ़ता रोज, किसी दिन ऐसा भी करता है
नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है
अब तू ही ये बता, नाप तेरी किस रोज लिवायें
सी दे एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये!
----------------- रचनाकार: रामधारी सिंह "दिनकर"
Posted by अपराजिता 'अलबेली' at 12:40 AM 0 comments
Thursday, June 4, 2009
Tuesday, June 2, 2009
प्यारी बच्ची
हाथों में गुब्बारे आए
गुड़िया वो मुस्काती है
सबके मन को भाती है
फूलों के संग खेलेगी
चिड़िया के संग दौड़ेगी
हरे भरे मैदानों पर
पर्वत और पठारों पर
ज्यों ही लाली छाती है
गुड़िया वो मुस्काती है
Posted by अपराजिता 'अलबेली' at 11:53 PM 2 comments