अलग-अलग फूलों से सजकर
क्यारी गुलशन बन जाती है
अलग-अलग हैं नदियाँ सारी
सब सागर में मिल जाती है
अलग-अलग शब्दों से बंधकर
एक कहानी बन जाती है
अनेक रंगों की सुंदरता
ही तो, इंद्रधनुष कहलाती है
आसमान में सारे तारे
संग होकर प्यारे लगते हैं
मेरे भारत की धरती पर
कई भाषा और कई धर्म हैं
यही अनेकता मिल जाने पर
एकता हमारी बन जाती है।
जय हिन्द
रचनाकार : गंगा शर्मा से साभार
Saturday, July 3, 2010
अनेकता में एकता
Posted by अपराजिता 'अलबेली' at 9:59 AM
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4 comments:
yes
unity in Diversity
its india
सुन्दर कविता..सार्थक सन्देश !
_________________________
अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.
apni hi kavita ko comment bhej rahi hu blog ke naam se
Wonderful
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