एक बच्चा हमेशा रोता रहता था. कभी खूब चिल्ला के कभी सिर्फ आँसू बहा के. वह कभी रोने का कारण ही नहीं बताता था. लोग बहुत हँसाने, मनाने, समझाने की कोशिश करते थे, लेकिन उसपर कोई असर ही नहीं पड़ता था. पापा ने खिलौने लाके दिए, मम्मी ने गाने सुनाए, बड़े भाई ने कार्टून दिखाया, फिर भी उसपर कोई असर नहीं पड़ा. डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर ने दवा लिख दी, दवा खिलाए गए. उसपर फिर भी कोई असर नहीं पड़ा. धीरे धीरे सब चिढ़ने लगे. अब वह ज्यादातर डाँट खाने लगा.
एक दिन जब वह सो रहा था, उसके सपने में भूतनाथ आए. पूछा-
"दोस्त, इतना रोता क्यों है?"
उसने कहा-
"भूत, मैंने तुम्हें टी.वी. में देखा था, तुम इतने अच्छे लगे, मैं तुम्हें अपने साथ रखना चाहता हूँ. तुम्हें ढूँढता रहता हूँ, तुम मिलते नहीं तो मैं क्या करूँ?"
भूतनाथ ने प्यार से समझाया-
"दोस्त, इस दुनिया में माता, पिता, भाई-बहन से अच्छा और प्यारा कुछ नहीं होता. मैं उन्हीं के दिलों में रहता हूँ. तुम सबसे मिलो, बातें करो, कहा मानों. वो जब भी जो भी करें, समझो मैं कर रहा हूँ."
इसी तरह की सारी बातें कर भूतनाथ चला गया. बच्चे ने कहा मान लिया. अब वह खुश रहने लगा.
Tuesday, July 15, 2008
भूतनाथ का बच्चा
Posted by अपराजिता 'अलबेली' at 8:20 AM
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1 comments:
BAHUT HEE ACHCHHI KAHAANI. PAHLEE BAAR AAYA AAPKE BLOG PAR. BACHHON KE ADBHUT KAAM HAI. MERE PAAS SHABD NAHI HAI. BADHAAI BHUT BHUT.
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