Tuesday, June 2, 2009

प्यारी बच्ची



नील गगन पर बादल छाए
हाथों में गुब्बारे आए
गुड़िया वो मुस्काती है
सबके मन को भाती है

फूलों के संग खेलेगी
चिड़िया के संग दौड़ेगी
हरे भरे मैदानों पर
पर्वत और पठारों पर
ज्यों ही लाली छाती है
गुड़िया वो मुस्काती है

2 comments:

Science Bloggers Association said...

बहुत प्यारी कविता है। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

khud ko pahachano said...

chhoti si gudiya me chhipa sneh aur mamta kavita me umad rahi h