Wednesday, July 2, 2008

सवालों के जवाब सुहाने

सवाल:

"पुस्तकें: सच्ची मित्र" विषय पर अपने विचार बताइए.
जवाब:
मित्र संकटों में सहयोगी और जीवन में उपयोगी माने जाते हैं. जीवन पर यह प्रभाव पुस्तकों के रूप में भी पड़ता है. यही कारण है कि समाज और व्यक्ति के विकास में पुस्तकों का बड़ा योगदान है.
यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पुस्तकें केवल ज्ञान में ही वृद्धि नहीं करती, बल्कि मनोरंजन भी करती है. व्यक्ति मित्रों के समान अपनी इच्छाओं के आधार पर पुस्तकों का चयन करते हैं और पढ़ते हैं.
व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, एवं राष्ट्रीय सभी क्षेत्रों की परेशानियों के समाधान में पुस्तकें ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. ऐसे में यह स्वीकार करना ही ठीक है कि पुस्तक से बेहतर और कोई मित्र नहीं.
सवाल:
बढ़ती मंहगाई पर दो औरतों में संवाद लिखिए.

जवाब:
रमा बाजार जा रही थी कि पड़ोसिन श्यामा ने उसे रोक कर साथ चलने को कहा. ताकि रास्ता भी आसानी से कट जाए और दोनों मिलकर सामान का मोल भाव भी ठीक से करवा लें. क्योंकि अगर एक एक पैसा देखकर खर्च नहीं किया गया तो इस बढ़ती मंहगाई से घर चलाना मुश्किल हो जाएगा. रास्ते में दोनों एक दूसरे से बढ़ती मंहगाई का हाल कहने लगीं -
रमा : देख न श्यामा कल टमाटर 5 रूपये किलो थे और आज 5 रूपये पाव. मैं तो अब किलो भर टमाटर पूरे हफ्ते चलाती हूँ.
श्यामा : सच रमा, टमाटर प्याज आलू के बिना तो खाना बनाना ही मुश्किल है.
रमा : कल तक सिलेण्डर 250 रूपये का था अब 310 रूपये का है. गैस के बिना तो इन शहरों में खाना भी नहीं बना सकते.
श्यामा : उपर से ये पेट्रोल के दाम. लगातार बढ़ती कीमत से राहुल के पापा कितने परेशान हैं. पेट्रोल की कीमतों का असर हमारे द्वारा खरीदी जाने वाली हर चीज पर पड़ता है.
रमा : हाँ, हाँ, पड़ता ही है. क्योंकि हर चीज को एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने का काम जिन मोटर गाड़ियों से होता है, वे तो पेट्रोल से ही चलते हैं न.
श्यामा : तेल चाहे गाड़ी का हो या रसोई का मंहगाई ने किसी को नहीं छोड़ा. एक आम आदमी के लिए अपने छोटे परिवार को सुखी परिवार बनाने के लिए अब दिन-रात से भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.
रमा : हे भगवान! कब थमेगी ये मंहगाई की दर.
सवाल:
बचपन की शरारतों पर अनुच्छेद लिखिए.
जवाब:
वैसे तो बचपन के शरारतों की कोई सीमा नहीं होती. आज जिसकी सबसे ज्यादा याद आ रही है वो है गर्मियों की छुट्टी का एक दिन. गर्मियों की छुट्टी में जब पापा आफिस चले जाते माँ दिनभर का काम कर दोपहर को सो जाती थी तो मैं चुपके से घर से बाहर जाकर धूप में भी अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलता था और माँ के जगने से पहले लौट आता था. ऐसा कई दिनों तक चला. एक दिन मेरे लौटने से पहले माँ जाग गई और उनको पता चल गया कि मैं बाहर क्रिकेट खेल रहा हूँ. घर में चुपचाप घुसते हुए मैंने ज्यों ही पैर रखा माँ ने मुझे पकड़ लिया, माँ ने डाँटते हुए मुझे अहसास कराया कि पढ़ना कितना जरूरी है और दोपहर में धूप से बचना भी. वो शरारत आज भी याद आती है.
सवाल:
टी वी के पसंदीदा दो कार्यक्रमों पर कुछ पंक्तियाँ लिखिए.

जवाब:
आजकल टेलीविजन पर सैकड़ों चैनल आते हैं और हजारों कार्यक्रम. मैं तो कुछ ही देख पाता हूँ, उनमें भी कार्टून नेटवर्क और डिस्कवरी चैनल ज्यादा देखता हूँ. इन दोनों में केवल मनोरंजन ही नहीं होता सीख भी होती है. जैसे कार्टून में मैडेलाइन, यह एक छोटी लड़की है जो बोर्डिंग में पढ़ती है. इसमें तुकबंदी से बहुत-सी जरूरी शिक्षा और व्यवहार की बातें दिखाई जाती हैं. डिस्कवरी में समय की जिन वास्तविकताओं को हम नहीं जानते उससे जुड़ाव बनता है. प्रकृति और मनुष्य के बीच सही पहचान को ढूँढते और बताते ये कार्यक्रम अच्छे लगते हैं.
सवाल:
अपने मित्र को दिल्ली के दर्शनीय स्थानों के विषय में एक पत्र लिखिए.
जवाब:
दिनांक 02.07.2008

प्रिय राहुल,
कैसे हो? तुमने कहा था कि इन गर्मियों में तुम दिल्ली आओगे, पर आए नहीं, आपसी सैर रह गया. तुम जानते हो हमारी दिल्ली बहुत सुंदर है. देश की राजधानी दिल्ली में कई दर्शनीय स्थल हैं. यहाँ राष्ट्रपति भवन है, उसके सामने इंडिया गेट पर शाम के समय लोगों का खूब जमावड़ा होता है.
दिल्ली का लालकिला, जामा मस्जिद, और कुतुबमिनार यहाँ कि ऐतिहासिक भव्यताओं को दर्शाता है. यहाँ कमल मंदिर, बिरला मंदिर, अक्षरधाम जैसे प्रसिद्ध मंदिर है, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं. यहाँ का चिड़ियाघर भी देखने योग्य है. इसके साथ ही दिल्ली का एक नया रूप भी है, वह है मैट्रो. बड़े-बड़े मॉल और खूबसूरत बाजार दिल्ली को चार चाँद लगाते हैं.
विज्ञान आदि विषयों से जुड़े कई केन्द्र यहाँ है, जैसे नेहरू तारामंडल. और भी बहुत से आकर्षण के केन्द्र हैं. तुम जल्दी आना. तुम्हारे साथ मैं भी ठीक से सैर कर पाऊँगा. शेष सब सकुशल.

तुम्हारा मित्र
अमित
सवाल:
बच्चों की पढ़ाई के चिंता में पति-पत्नी के संवाद लिखिए.
जवाब:
10वीं में अच्छे अंकों से सुमित पास हुआ है लेकिन माँ-पापा अब भी परेशान है. अपने कमरे में लेटा सुमित सुनता है कि उसके माँ-पापा उसकी पढ़ाई को लेकर कितने चिंतित हैं -
पापा : अपना सुमित अच्छा नम्बर लाया है पर आगे वह क्या विषय ले कि उसका भविष्य बन जाए?
माँ : तुम तो विषय की कहते हो, मैं सोचती हूँ कि राहुल के स्कूल की फीस इतनी ज्यादा है, उस पर कोचिंग इंस्टीट्यूट, कैंप, किताबें सबका खर्चा है. ऐसे में सुमित की पढ़ाई का खर्चा भी तो होगा.
पापा : शर्मा जी के दोनों बेटे लायक हो गए हैं. एक डाक्टर है तो दूसरा IAS की तैयारी कर रहा है. हमारा सुमित भी पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बन जाए तो कितना अच्छा हो.
माँ : आज कल कम्पीटिशन कितना मुश्किल हो गया है. सुमित को अभी से मेहनत करनी होगी.
पापा : मैं उसकी पढ़ाई के लिए पूरा खर्च उठाऊँगा, अच्छे से अच्छा ट्यूटर लगाऊँगा, लेकिन मेहनत तो उसी को करनी होगी.
माँ : क्या वो कर पाएगा इतनी मेहनत?
सुमित सुनता है और मन ही मन अपने माँ-पापा को वचन देता है कि उनकी चिंता जरूर दूर करेगा.
सवाल:
भ्रष्टाचार के कारण बताइए और उपचार का सुझाव दीजिए.
जवाब:
हमारे देश को जोंक की तरह खा रही है भ्रष्टाचार की समस्या. यह एक ऐसी बिमारी है जो नौकरशाही के पायदान पर सबसे नीचे से शुरू होकर ऊपर तक के आदमी को जकड़े बैठी है. सामान्य रूप में इसके दो कारण दिखाई देते हैं.
1. आय की असमानता
2. नैतिकता का हनन
बढ़ती मँहगाई दर, ऊँचे रहन-सहन की इच्छा, सम्पत्ति आदि इच्छाएँ व्यक्ति को अपनी सीमित आय से असंतुष्ट कर देती हैं. यही कारण है कि वह भ्रष्टाचार की चपेट में आ जाता है. ऐसा व्यक्ति देश, समाज और परिवार के प्रति, एक दूसरे के प्रति अपने कर्तव्य को भूलाकर नैतिक-मूल्यों से गिर जाता है. घुसखोरी, शोषण, कालाबाजारी भ्रष्टाचार के समान्य रूप हैं. इस बुराई को रोकने के लिए जरूरी है कि
1. परिवार में ही व्यक्ति को अच्छे मूल्यों और सच्चरित्र होने की शिक्षा दी जाए.
2. समाज में व्यक्ति परस्पर कर्तव्य को समझे और बिना हानि-लाभ पर विचार किए उन्हें पूरा करे.
3. आर्थिक क्षेत्र में भी उपचार आवश्यक है. सम्भवत: आय और उपभोग के साधनों का समान वितरण इस समस्या को रोकने में कारगर साबित होगा.

0 comments: